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Showing posts from June, 2020

Equality? What's that??

Equality  यूँ तो हमने कई वादे किए थे खुद से, दूसरों से क्या ही उम्मीद करें, जब खुद से किये वादे ही निभा ना पाएं? कह दिया, "उन्होने हमारे लिये अवाज नही उठायी", दुनिया जब हमारे खिलाफ थी, हम भी कहां खुद के लिये खडे हो पाये? जब वो बदले, तो हमने कहा, "देखो वक़्त के साथ कितने बदल गये हैं।" जब हम बदले तो हमने भी कह के पल्ला झाड़ा "देखो वक़्त ही कित्ना बदल सा गया है", कोंन है जो ये फर्क़ ला रहा है? वक़्त ऐसा भी था, जब हम अकेले भी थे, जो आज साथ हैं, वो तब दूर ही थे। गुस्से में हमने भी कहा था, "अकेले लडेंगे, पर आपको ज़रूरत पड़ेगी तब खडे रहेंगे। जो हमारे साथ हुआ वो नही दोहराएंगे। पर जब वक़्त आया, रिश्ता क्या था? तो जैसे मानो भूल गये हो। जमाना, परिवार, दुनिया, और वो चार लोग, ना जाने कहां से बीच मेँ आ गये थे! खैर, मुद्दा तो तब शुरु होता है, जब उन्हे ज़रूरत थी, तो हाथ थाम लिया, नही थी, तो छोड दिया, ये कह के हमने भी उनसे रिश्ता तोड़ लिया! पर अगर बच्चे होते तो क्या ये रिश्ता हम तोड पाते? वही रिश्ते फिर क्यूं सह के भी निभा रहे होते? क्यूं तब रिश्ता तोड़ के दुनिया